UP LT Grade TGT vs Junior Recruitment: High Court में बड़ी सुनवाई, क्या 6th-8th भर्ती फंसी रहेगी?

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UP LT Grade TGT vs Junior Recruitment: High Court में बड़ी सुनवाई, क्या 6th-8th भर्ती फंसी रहेगी? उत्तर प्रदेश में LT Grade TGT Teachers और Junior Recruitment को लेकर High Court में अहम सुनवाई हुई। 1976 के शासनादेश और NCTE Guidelines पर फिर से बहस तेज हो गई है। सवाल यह है कि क्या सरकार Junior Teacher भर्ती से बच रही है और LT/TGT अध्यापकों से कक्षा 6th to 8th पढ़वा रही है?


उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। High Court इलाहाबाद में याचिका संख्या 1164/2025 (Akhilesh & Others) पर कल सुनवाई हुई। इस सुनवाई में लगभग 20 मिनट तक दोनों पक्षों को सुना गया। अभ्यर्थियों की ओर से यह मुद्दा उठाया गया कि LT Grade और TGT अध्यापकों की नियुक्ति केवल कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए होती है, लेकिन सरकार उन्हीं अध्यापकों से कक्षा 6ठी से 8वीं की पढ़ाई करवा रही है। इससे लाखों B.Ed और UPTET पास अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हो रहा है, जो लंबे समय से Junior Recruitment का इंतजार कर रहे हैं।

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याचिकाकर्ता का तर्क

अखिलेश यादव और अन्य याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा कि सरकार अपनी कमियों को छुपाने का काम कर रही है। LT/TGT अध्यापकों की नियुक्ति का दायरा स्पष्ट रूप से कक्षा 9वीं और 10वीं तक सीमित है। इसके बावजूद सरकार इनसे कक्षा 6ठी से 8वीं तक पढ़वा रही है। यह व्यवस्था उन अभ्यर्थियों के खिलाफ है जिन्होंने B.Ed किया है और UPTET पास किया है तथा Junior Cadre में नौकरी की उम्मीद कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार Junior Cadre की भर्ती से बचने के लिए यह तरीका अपना रही है।

सरकार का जवाब

सुनवाई के दौरान सरकार ने यह जरूर माना कि LT Grade और TGT अध्यापक कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए नियुक्त किए जाते हैं। लेकिन जब अदालत ने यह पूछा कि किस शासनादेश के आधार पर इन्हें कक्षा 6ठी से 8वीं तक पढ़ाया जा रहा है, तो सरकार ने स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। High Court ने इस पर सरकार से दोबारा जवाब मांगा है और कहा है कि नियम और शासनादेश का हवाला देकर स्पष्ट करें कि यह व्यवस्था क्यों लागू है।

1976 का शासनादेश और विवाद की जड़

इस विवाद की जड़ 1976 का शासनादेश है। इस आदेश के अनुसार, LT Grade और TGT अध्यापकों की नियुक्ति कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए होती है। यदि समय बचता है तो वे कक्षा 6ठी से 8वीं के विद्यार्थियों को पढ़ा सकते हैं। लेकिन वर्तमान समय में स्थिति यह है कि सरकार अलग से Junior Cadre नहीं बना रही है और न ही नई नियुक्तियां कर रही है। इसके बजाय उन्हीं LT और TGT अध्यापकों से कक्षा 6ठी से 8वीं पढ़वाई जा रही है। इससे यह धारणा बन रही है कि सरकार बजट बचाने और नए पद न सृजित करने के लिए यह रास्ता अपना रही है।

अभ्यर्थियों की मांग

याचिकाकर्ताओं और अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर LT/TGT अध्यापकों की नियुक्ति 9वीं और 10वीं के लिए है, तो उन्हें उन्हीं कक्षाओं तक सीमित रहना चाहिए। कक्षा 6ठी से 8वीं के लिए अलग से Junior Recruitment होनी चाहिए। इससे B.Ed और UPTET पास अभ्यर्थियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। उनका कहना है कि भर्ती फंसाना उद्देश्य नहीं है, बल्कि नियमों के अनुसार नियुक्तियां कराना और न्याय सुनिश्चित करना ही असली मकसद है।

अगली सुनवाई और संभावनाएं

High Court ने सरकार से इस मामले में दोबारा जवाब मांगा है। 26 अगस्त को अगली सुनवाई होनी है, जिसमें अभ्यर्थी एक वरिष्ठ अधिवक्ता के माध्यम से अपनी दलीलें जोरदार ढंग से पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। अगर अदालत ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए, तो संभावना है कि Junior Recruitment की राह खुल सकती है। यह फैसला लाखों B.Ed और UPTET पास अभ्यर्थियों की किस्मत तय करेगा जो लंबे समय से नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

निष्कर्ष

UP LT Grade TGT vs Junior Recruitment का यह केस अब निर्णायक मोड़ पर है। यह मामला केवल भर्ती प्रक्रिया का ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और अभ्यर्थियों के भविष्य का भी है। अगर अदालत सरकार को मजबूर करती है कि LT/TGT केवल कक्षा 9वीं और 10वीं तक सीमित रहें, तो 6ठी से 8वीं के लिए बड़े पैमाने पर Junior Teacher भर्ती हो सकती है। इससे न केवल लाखों अभ्यर्थियों को नौकरी का अवसर मिलेगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी अधिक संतुलित और सुव्यवस्थित होगी।


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