OPS vs NPS: सरकार का बड़ा खुलासा – ₹1.31 Lakh Crore Refund पर लगा ताला, इन 5 States को नहीं मिलेगा पैसा

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OPS vs NPS: सरकार का बड़ा खुलासा – ₹1.31 Lakh Crore Refund पर लगा ताला, इन 5 States को नहीं मिलेगा पैसा!

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Old Pension Scheme Latest Update 2025 – केंद्र सरकार ने साफ किया कि OPS Restoration का कोई प्रस्ताव नहीं है। Rajasthan, Punjab, Chhattisgarh समेत 5 राज्यों की ₹1.31 Lakh Crore NPS Fund Refund की उम्मीद खत्म। जानें पूरी लिस्ट और सरकार का बयान।


संसद में OPS पर बड़ा बयान – उम्मीदों को झटका!

नई दिल्ली। देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए सोमवार (11 अगस्त 2025) का दिन अहम रहा। लोकसभा में पूछे गए अतारांकित प्रश्न संख्या 3454 का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ शब्दों में कहा –

“केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।”

उन्होंने आगे बताया कि OPS को पहले ही इसलिए खत्म किया गया था क्योंकि यह राजकोषीय रूप से अस्थिर (Fiscally Unsustainable) थी और इससे सरकारी खजाने पर भारी व लगातार बढ़ता बोझ पड़ता।


OPS समर्थक राज्यों के लिए भी बुरी खबर

कई राज्य सरकारें पहले ही OPS लागू कर चुकी हैं और चाहती थीं कि National Pension System (NPS) में जमा उनका फंड वापस मिल जाए, ताकि OPS का खर्च आसानी से उठाया जा सके।
लेकिन केंद्र सरकार ने इस उम्मीद पर भी पानी फेर दिया।

पंकज चौधरी ने साफ कहा –

“PFRDA Act, 2013 और NPS Withdrawal Regulations, 2015 के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे NPS में जमा संचित राशि राज्यों को लौटाई जा सके।”


किन राज्यों का कितना पैसा अटका?

PFRDA के 31 जुलाई 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, 5 राज्यों का NPS फंड इस प्रकार है:

क्र.सं.राज्य का नामपेंशन फंड (₹ करोड़)
1छत्तीसगढ़22,499.80
2हिमाचल प्रदेश11,111.93
3झारखंड14,368.67
4पंजाब31,960.43
5राजस्थान50,884.11

कुल राशि – ₹1,30,824.94 करोड़ (लगभग ₹1.31 Lakh Crore)

यानी, यह पूरी रकम फिलहाल NPS में फंसी है और इसे राज्यों को वापस करने का कोई रास्ता नहीं है।


OPS बनाम NPS – क्यों है इतना बड़ा विवाद?

  • OPS: तय पेंशन, जीवनभर गारंटी, महंगाई भत्ता भी लागू।
  • NPS: निवेश आधारित पेंशन, रिटर्न मार्केट पर निर्भर, सरकार व कर्मचारी दोनों योगदान करते हैं।

OPS समर्थकों का तर्क है कि सरकारी नौकरी की सबसे बड़ी ताकत जीवनभर सुरक्षित पेंशन है, जो NPS में नहीं मिलती।
लेकिन वित्तीय विशेषज्ञ कहते हैं कि OPS सरकारों के लिए अनलिमिटेड लाइबिलिटी है, जिससे आने वाले वर्षों में बजट पर असहनीय बोझ पड़ सकता है।


राज्यों के सामने वित्तीय संकट का खतरा

राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की आर्थिक हालत पहले ही कमजोर है। OPS लागू करने के बाद उन्हें हर साल पेंशन पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
अब अगर NPS का ₹1.31 Lakh Crore नहीं मिलेगा, तो यह बोझ और बढ़ जाएगा, जिससे विकास योजनाओं के लिए फंड की कमी हो सकती है।


आने वाले दिनों में राजनीतिक टकराव तय

यह फैसला केंद्र और राज्यों के बीच नए राजनीतिक टकराव को जन्म दे सकता है। OPS लागू करने वाले राज्य कर्मचारी संगठनों का दबाव झेल रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार वित्तीय स्थिरता का तर्क दे रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में भी गर्म रह सकता है, क्योंकि लाखों सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार सीधे इससे प्रभावित होते हैं।



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