Microsoft को टक्कर देने आई भारतीय कंपनी Zoho, मंत्री जी ने खुद किया इस्तेमाल

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जानिए कैसे भारतीय कंपनी Zoho ने Microsoft को चुनौती दी। केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान ने खुद Zoho का इस्तेमाल कर स्वदेशी मूवमेंट को बढ़ावा दिया। श्रीधर वेंबू की कहानी और Zoho की 1 लाख करोड़ की वैल्यूएशन यहां पढ़ें।

भारत में पहली बार किसी भारतीय टेक कंपनी ने अमेरिकी दिग्गज Microsoft को चुनौती देने की बात कही है। भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी Zoho ने दावा किया है कि वह Microsoft को रिप्लेस कर सकती है। यह चर्चा तब और बड़ी हो गई जब केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने प्रेजेंटेशन Zoho पर तैयार करने की बात सार्वजनिक रूप से कही। Microsoft का वैल्यूएशन लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर है, जो भारत की GDP से भी अधिक है। ऐसे में Zoho जैसी भारतीय कंपनी का इस दिग्गज को चुनौती देना गौरव का विषय है।

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Zoho का वैल्यूएशन हुरून लिस्ट के अनुसार लगभग ₹1 लाख करोड़ (12 बिलियन डॉलर) है। यह एक बूटस्ट्रैप्ड कंपनी है, यानी इसमें कोई विदेशी निवेश नहीं है। पूरा पैसा भारतीय संस्थापकों ने खुद लगाया है। Zoho हर साल ₹8,700 करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू करती है और 33% प्रॉफिट मार्जिन के साथ ₹2,800 करोड़ से ज्यादा नेट प्रॉफिट कमाती है। इसके 130 मिलियन से ज्यादा यूजर हैं, 18,000+ कर्मचारी काम कर रहे हैं और 60 से ज्यादा देशों में इसके क्लाइंट हैं।

Zoho के संस्थापक श्रीधर वेंबू चेन्नई तमिलनाडु के निवासी हैं। उन्होंने IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, अमेरिका में पीएचडी करने के बाद नौकरी का मौका छोड़कर भारत लौट आए और अपने गांव तेनकाशी में कंपनी की शुरुआत की। 2009 में कंपनी का नाम बदलकर Zoho Corporation रखा गया। आज यह पूरी तरह से भारत में बनी कंपनी है लेकिन इसके ग्राहक दुनिया के बड़े-बड़े ब्रांड हैं जिनमें Amazon, Netflix, Mercedes Benz, Ford, Hyundai, Philips, HDFC और Citibank शामिल हैं।

Zoho के पास Microsoft के लगभग हर प्रोडक्ट का विकल्प मौजूद है। Zoho Mail Gmail का विकल्प है, Zoho Show PowerPoint का विकल्प है, Zoho Books और Invoice अकाउंटिंग टूल्स के विकल्प हैं, Zoho Cliq और Arattai मैसेजिंग और टीम कम्युनिकेशन टूल्स हैं और Zoho WorkDrive Google Drive का विकल्प है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान द्वारा Zoho के प्रोडक्ट्स को सार्वजनिक रूप से प्रमोट करना इस बात का संकेत है कि भारत अब स्वदेशी सॉफ्टवेयर पर भरोसा कर रहा है।

श्रीधर वेंबू ने H-1B वीजा पर बड़ा बयान दिया कि भारतीय युवाओं को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग अमेरिका में H-1B वीजा के लिए संघर्ष कर रहे हैं वे भारत लौट आएं और पांच साल काम करें। पांच साल में वे बहुत मजबूत स्थिति में होंगे। उनका यह बयान भारतीय युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता का संदेश बन गया।

Zoho का Microsoft को चुनौती देना सिर्फ एक बिजनेस न्यूज़ नहीं बल्कि एक स्वदेशी मूवमेंट है। यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत विजन को मजबूती देता है और भारतीय युवाओं को दिखाता है कि गांव से भी ग्लोबल लेवल की कंपनी बनाई जा सकती है।

निष्कर्ष यही है कि Zoho का यह कदम भारतीय टेक इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है। अगर सरकार, इंडस्ट्री और यूजर्स मिलकर ऐसे स्टार्टअप्स को सपोर्ट करें तो भारत दुनिया का टेक हब बन सकता है।



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