TET को लेकर शिक्षकों का फूटा गुस्सा: “17-27 साल की नौकरी के बाद अब नई परीक्षा क्यों?” – बरेली में जोरदार विरोध

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षकों का विरोध तेज, बरेली में कहा – वर्षों की नौकरी के बाद अब TET की नई परीक्षा देना अन्याय है।



TET को लेकर शिक्षकों का फूटा गुस्सा: “17-27 साल की नौकरी के बाद अब नई परीक्षा क्यों?” – बरेली में जोरदार विरोध सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद प्रदेशभर में शिक्षकों में गुस्सा उभर आया है। आदेश के मुताबिक अब सभी शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। इसी को लेकर बरेली में सैकड़ों शिक्षक इकठ्ठा हुए और अपना विरोध दर्ज कराया।

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“17 साल नौकरी के बाद फिर से परीक्षा क्यों?”

एक महिला शिक्षिका ने कहा,
“हमारी नौकरी को 17 साल हो गए हैं। हमने बाकायदा बीएड किया, ट्रेनिंग ली, और योग्यता पूरी करने के बाद नौकरी पाई। आज अचानक कहा जा रहा है कि टीईटी पास करो। चार साल बाद क्या सुपर-टेट या कोई और नई परीक्षा भी आ जाएगी? क्या हमारी उम्र और जिम्मेदारियों में यह संभव है?”

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक पहले से ही स्कूल और परिवार की दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। “अब हमें मजबूर किया जा रहा है कि परिवार छोड़कर दोबारा पढ़ाई करें। सरकार हमें पेरेंट्स की जगह ‘सेल्फिश’ बना रही है।”

“27 साल नौकरी करने के बाद अब क्या प्रतियोगिता देंगे?”

वहीं एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा:
“हमने 1995 में बीटीसी किया था। तब 7500 में से सिर्फ 50 लोग चयनित हुए थे। हम सड़क से उठाकर टीचर नहीं बनाए गए थे। 27 साल नौकरी करने के बाद अब क्या हम प्रतियोगिता देंगे? अगर आज हमारे लिए टीईटी है तो कल पीसीएस वालों के लिए भी नई परीक्षा क्यों नहीं?”

शिक्षकों का आरोप – सरकार ने पहले ही भ्रष्टाचार रोका क्यों नहीं?

शिक्षकों का कहना है कि जब कॉलेजों में डिग्रियां ‘बिक’ रही थीं, तब सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब सालों से सेवा दे रहे शिक्षकों को अचानक परीक्षा देने का आदेश दिया जा रहा है।
“अगर कोर्ट ने इतना ही फैसला दिया है तो पहले आईएएस-पीसीएस अफसरों से भी नई परीक्षा कराइए। भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर सिर्फ हम शिक्षकों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?”

“स्टडी लीव दो, तभी देंगे परीक्षा”

एक शिक्षिका ने कहा,
“अगर सरकार हमें जबरन परीक्षा देने पर मजबूर करती है तो हमें दो साल की स्टडी लीव दी जाए – वो भी वेतन सहित। वरना बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी।”

उन्होंने बताया कि चुनाव ड्यूटी से लेकर ब्लॉक लेवल काम तक हर जिम्मेदारी शिक्षक पर डाली जाती है। “हमसे पढ़ाने की बजाय सिर्फ काम कराया जाता है। अब ऊपर से परीक्षा का बोझ डाला जा रहा है।”

आंदोलन की रणनीति तैयार

शिक्षक संगठनों ने साफ कहा है कि अगर सरकार अपना आदेश वापस नहीं लेती, तो आंदोलन तेज होगा।

  • पहले चरण में जिला स्तर पर धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपा जाएगा।
  • दूसरे चरण में स्थानीय जनप्रतिनिधियों (MLA, MP) को ज्ञापन दिया जाएगा।
  • तीसरे चरण में लखनऊ में धरना होगा।
  • और अंतिम चरण में दिल्ली के जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय स्तर का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

“2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को छूट का प्रावधान है”

शिक्षकों का कहना है कि कानून के मुताबिक 2010 से पहले भर्ती हुए शिक्षकों को टीईटी से छूट मिली हुई है। “जब हम सेवा में आए थे, तब कोई शर्त नहीं थी। अब कोर्ट ने अचानक यह निर्णय देकर स्थिति को और उलझा दिया है। हम पुनः याचिका दाखिल करेंगे।”


बरेली में इकट्ठे हुए शिक्षकों ने साफ संदेश दिया है – टीईटी परीक्षा लागू करने का फैसला किसी भी हाल में स्वीकार नहीं होगा। अगर सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश वापस नहीं लिए तो शिक्षक प्रदेश से लेकर दिल्ली तक आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।


डिस्क्लेमर: यह खबर विभिन्न शिक्षकों के बयानों और उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखी गई है। इसमें व्यक्त विचार संबंधित शिक्षकों के हैं। समाचार का उद्देश्य केवल जानकारी देना है।



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