
UP Online Hajri: उत्तर प्रदेश के सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन हाजिरी और स्कूल मर्जर की नीति ने शिक्षकों और छात्रों के बीच विवाद खड़ा कर दिया है। शिक्षक संघ इसे अव्यवहारिक बता रहे हैं, जबकि गरीब छात्रों को पढ़ाई और मजदूरी में संतुलन बनाने में परेशानी हो रही है। जानिए इस नीति का असर और शिक्षक संघों का विरोध।
उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन हाजिरी और स्कूल मर्जर का विवाद
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 के शैक्षणिक सत्र से सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों और शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी अनिवार्य कर दी है। इस व्यवस्था के तहत प्रधानाचार्य को पहले पीरियड में छात्रों की उपस्थिति एक ऑनलाइन वेबसाइट पर दर्ज करनी होती है, और शिक्षकों की हाजिरी भी डिजिटल रूप से ली जाती है। हालांकि, इस नीति का शिक्षक संघों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि बुनियादी सुविधाओं जैसे तेज इंटरनेट, डिवाइस और नेटवर्क कनेक्टिविटी के बिना यह नीति लागू करना अव्यवहारिक है। इसके साथ ही, कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने की नीति ने भी विवाद को और बढ़ा दिया है।
ऑनलाइन हाजिरी की चुनौतियां
उत्तर प्रदेश के ज्यादातर सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं, जो पढ़ाई के साथ-साथ मजदूरी भी करते हैं। ऑनलाइन हाजिरी की वजह से इन छात्रों को नियमित रूप से स्कूल पहुंचना मुश्किल हो रहा है। कई स्कूलों में तकनीकी समस्याएं जैसे खराब नेटवर्क, लोकेशन ट्रैकिंग की दिक्कत और डिवाइस की कमी आम हैं। शिक्षकों का कहना है कि पहले से ही मैनुअल, बायोमेट्रिक और मानव संपदा पोर्टल पर हाजिरी देनी पड़ती है, और अब ऑनलाइन हाजिरी का अतिरिक्त बोझ थोपा जा रहा है। शिक्षक संघों ने मांग की है कि जब तक टैबलेट, सिम और विश्वसनीय इंटरनेट उपलब्ध नहीं कराया जाता, तब तक यह नीति लागू नहीं होनी चाहिए।
शिक्षक संघों का विरोध
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ और अन्य शिक्षक संगठनों ने ऑनलाइन हाजिरी और स्कूल मर्जर के खिलाप में आंदोलन शुरू किया है। लखनऊ, सीतापुर, बांदा जैसे जिलों में शिक्षकों ने बेसिक शिक्षा कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किए और सरकार को ज्ञापन सौंपे। उनका तर्क है कि यह नीति शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव डाल रही है और शिक्षा व्यवस्था को निजीकरण की ओर ले जा रही है। शिक्षक संघों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।
स्कूल मर्जर का असर
सरकार ने 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और 100 से कम छात्रों वाले उच्च प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है। इसके तहत करीब 5,000 स्कूलों को बंद कर पास के स्कूलों में मिलाया जा रहा है। शिक्षक संघों का कहना है कि यह नीति शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन करती है। मर्जर के कारण छात्रों को 1-3 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ रहा है, जिससे खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है। इससे ड्रॉपआउट दर बढ़ने की आशंका है। साथ ही, शिक्षकों, शिक्षामित्रों और रसोइयों की नौकरियां भी खतरे में हैं।
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छात्रों की परेशानियां
मर्जर नीति के कारण कई स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे दूर के स्कूलों तक पहुंचने में असमर्थ हैं, खासकर बरसात के मौसम में। इससे उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। शिक्षक संघों ने मांग की है कि सरकार पहले स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं जैसे पर्याप्त शिक्षक, पक्की इमारतें और परिवहन की व्यवस्था सुनिश्चित करे।
आगे की राह
शिक्षक संघों ने 31 जुलाई 2025 को में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। वे पुरानी पेंशन योजना, चयन वेतनमान और कैशलेस चिकित्सा सुविधा जैसी अन्य मांगें भी उठा रहे हैं। सरकार ने ऑनलाइन हाजिरी के लिए 30 मिनट की छूट दी है, लेकिन शिक्षकों का कहना है,
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन हाजिरी क्यों लागू की गई है?
ऑनलाइन हाजिरी का उद्देश्य शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति को डिजिटल रूप से ट्रैक करना और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाना है।
2. स्कूल मर्जर नीति क्या है?
यह नीति कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद कर उन्हें पास के स्कूलों में मिलाने की है, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो।
3. शिक्षक संघ क्यों विरोध कर रहे हैं?
शिक्षक संघों का कहना है कि ऑनलाइन हाजिरी और मर्जर नीति अव्यवहारिक है, शिक्षकों पर दबाव बढ़ा रही है और छात्रों की शिक्षा को प्रभावित कर रही है।
4. मर्जर से छात्रों पर क्या असर पड़ रहा है?
मर्जर के कारण छात्रों को दूर के स्कूलों में जाना पड़ रहा है, जिससे ड्रॉपआउट दर बढ़ने और शिक्षा बाधित होने की आशंका है।
5. क्या सरकार ने कोई समाधान दिया है?
सरकार ने ऑनलाइन हाजिरी के लिए 30 मिनट की छूट दी है, लेकिन शिक्षक इसे अपर्याप्त मानते हैं और बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन हाजिरी और स्कूल मर्जर नीति ने शिक्षकों और छात्रों के बीच असंतोष पैदा किया है। सरकार को इन नीतियों पर पुनर्विचार कर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित हो सके।

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