Supreme Court ने आदेश दिया कि 2011 से पहले भर्ती शिक्षकों को 2 साल में TET पास करना होगा। 2 लाख शिक्षक आंदोलनरत | Teachers Protest in UP.”
दो लाख शिक्षक सड़क पर! सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मचा बवाल, नौकरी खतरे में, सरकार से गुहार
चंदौली।
उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में लाखों शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले से नाराज़ हैं। 1 सितंबर 2025 को आए आदेश में कहा गया है कि 2011 से पहले भर्ती हुए शिक्षकों को भी दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा, वरना उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। इससे पूरे प्रदेश के लाखों अध्यापकों में हड़कंप मच गया है।
चंदौली में हजारों की संख्या में शिक्षक इकट्ठा होकर आंदोलन कर रहे हैं। इनमें प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल दोनों के अध्यापक शामिल हैं। इनका कहना है कि “खेल के बीच में खेल का नियम बदलना ठीक नहीं।”
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या कहता है?
- जो शिक्षक अब तक टीईटी पास नहीं कर पाए हैं, उन्हें दो साल का समय मिलेगा।
- अगर इस अवधि में परीक्षा पास नहीं हुई, तो नौकरी से हटा दिया जाएगा।
- जो शिक्षक रिटायरमेंट के करीब हैं (पांच साल बाकी), उन्हें छूट दी गई है।
शिक्षकों का दर्द: “20 साल पढ़ाने के बाद फिर से एग्जाम क्यों?”
चंदौली की शिक्षिका सुनीता जी ने कहा—
“हमने उस समय की सारी योग्यता पूरी करके नौकरी पाई थी। अब अचानक से हम पर नया नियम थोपना अन्याय है। सीसैट 2013 से लागू हुआ, लेकिन क्या सचिव स्तर तक पहुंच चुके अफसरों से भी परीक्षा ली जाएगी? डॉक्टरों से क्या फिर से NEET दिलवाया जाएगा?”
कई शिक्षकों का कहना है कि 50% अध्यापक इस आदेश से प्रभावित होंगे। उनकी उम्र 50–55 साल के बीच है और इस उम्र में फिर से परीक्षा देना लगभग नामुमकिन है। हाल ही में परीक्षा के दबाव में 4 अध्यापकों की मौत (तीन हार्ट अटैक और एक सुसाइड) हो चुकी है।
“हम पढ़ाएं या अपनी नौकरी बचाने के लिए परीक्षा दें?”
आनंद कुमार पांडे, जिला अध्यक्ष जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने कहा—
“सरकार ने 2017 में संशोधन कर इन-सर्विस शिक्षकों पर भी टीईटी थोप दिया। अब हमें यह दुविधा है कि बच्चों को पढ़ाएं या अपनी नौकरी बचाने के लिए खुद पढ़ाई करें।”
इम्तियाज़, एक अन्य शिक्षक ने कहा—
“हमने 15-20 साल सेवा देकर बच्चों का भविष्य बनाया। अगर हमारी योग्यता गलत थी तो तब हमें नौकरी क्यों दी गई? हमारी बात कोर्ट में रखी ही नहीं गई।”
“धरना नहीं, अभी तो सिर्फ ज्ञापन”
शिक्षकों ने साफ कहा है कि यह सिर्फ ज्ञापन कार्यक्रम है, धरना नहीं।
“सोचिए जिस दिन लाखों शिक्षक सड़क पर उतरेंगे, तब क्या होगा?”
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ ने 780 जिलों में एक साथ यह कार्यक्रम किया।
शिक्षकों की मांगें
- सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पिटीशन दाखिल करे।
- 2011 से पहले भर्ती शिक्षकों को टीईटी से मुक्त किया जाए।
- संसद या कैबिनेट में संशोधन कर कानून लाया जाए।
सरकार से सीधी अपील
शिक्षकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि इसे संवेदनशील मुद्दा मानकर हल करें।
“जब नौकरी ही नहीं बचेगी तो कैशलेस इलाज का क्या फायदा? हम सिर्फ नौकरी बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।”
👉 कुल मिलाकर, लाखों अध्यापक मानते हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है। अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने चेतावनी दी है कि “संसद से सड़क तक आंदोलन किया जाएगा।”
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Teachers Protest on TET | 2 Lakh Shikshak Jobs at Risk | Supreme Court Latest News”हिंदी: “2 लाख शिक्षक सड़क पर! सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मचा बवाल | TET Protest
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लेखक परिचय – चंद्रशेखर
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चंद्रशेखर
(M.Sc Maths, B. Sc, B.Ed, TGT Qualified 2016, UPTET Qualified)