UP TGT PGT Exam 2025 | बड़ी ख़बर! आयोग में बवाल, छात्र आंदोलन का ऐलान | कब होगी परीक्षा?

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UP TGT PGT Exam 2025 | बड़ी ख़बर! आयोग में बवाल, छात्र आंदोलन का ऐलान | कब होगी परीक्षा?


आज के इस lekh में हम बात करेंगे शिक्षा सेवा चयन आयोग (UPSESSB) की।

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सुबह ही मैंने एक lekh बनाया था जिसमें मैंने आपको जानकारी दी थी कि अब उत्तर प्रदेश के छात्रों का सब्र टूट चुका है। प्रयागराज में छात्र परीक्षा करवाने को लेकर युवा मंच के नेतृत्व में 7 तारीख से पत्थर गिरजा घर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
विद्यार्थियों का कहना है कि जब परीक्षा की कोई निश्चित तिथि ही नहीं है तो वे वहीं धरने पर बैठेंगे।

बहुत से छात्रों ने मुझसे स्थिति स्पष्ट करने को कहा। इसी क्रम में शासन-प्रशासन की ओर से कहा गया कि धरना-प्रदर्शन मत कीजिए, बल्कि आयोग और अधिकारियों से सीधी बातचीत करिए।

इसी सिलसिले में युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह, परीक्षा नियंत्रक देवेंद्र प्रताप सिंह और सचिव मनोज कुमार सिंह (IAS) के साथ लगभग एक घंटे तक विस्तृत वार्ता हुई।
इस दौरान ज्ञापन भी सौंपा गया, जिसमें मांग की गई कि शासन को पत्र भेजकर परीक्षा करवाने की सहमति ली जाए। साथ ही नई भर्तियों और यूपीटीईटी नोटिफिकेशन पर भी चर्चा हुई।

परीक्षा नियंत्रक देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह स्थिति असामान्य है क्योंकि चेयरमैन के इस्तीफे के बाद अब कार्यवाहक चेयरमैन और नियंत्रक के अधिकारों पर नियमावली के अनुसार अध्ययन किया जा रहा है। जब कार्यवाहक चेयरमैन वापस आएंगे तभी स्पष्ट होगा कि वे कौन-कौन से निर्णय ले सकते हैं।

अनिल सिंह ने भी कहा कि पूरे प्रदेश के लगभग 13 लाख टीजीटी-पीजीटी अभ्यर्थी आयोग की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) में प्रवीर कुमार ने इस्तीफा दिया था तो वरिष्ठ सदस्य ओ.एन. सिंह को कार्यवाहक चेयरमैन बनाया गया था। उन्होंने 8 महीनों में वह काम कर दिखाया जो प्रवीर कुमार 2–3 सालों में नहीं कर सके थे—परीक्षाएं करवाईं, रिजल्ट निकाले और दस्तावेज़ सत्यापन पूरे किए।

युवा मंच का कहना है कि अगर शासन और कार्यवाहक चेयरमैन की इच्छा शक्ति होगी तो परीक्षाएं करवाई जा सकती हैं। हालांकि सचिव मनोज कुमार सिंह का कहना था कि हर आयोग की अपनी नियमावली होती है और शिक्षा सेवा चयन आयोग की नियमावली के मुताबिक कार्यवाहक अध्यक्ष केवल रोजमर्रा के कार्य कर सकते हैं, बड़े नीतिगत निर्णय नहीं।

अब स्थिति यह है कि जब तक चेयरमैन की औपचारिक नियुक्ति नहीं होगी, परीक्षाओं पर बड़ा निर्णय संभव नहीं है। और यह प्रक्रिया लंबी है—आवेदन, शॉर्टलिस्टिंग, मुख्यमंत्री और फिर राज्यपाल की अनुमति। पिछली बार प्रो. कीर्ति पांडे की नियुक्ति में लगभग 6 महीने लगे थे।

इसीलिए युवा मंच ने साफ कर दिया है कि बिना दबाव बनाए यह प्रक्रिया और लंबी खिंच सकती है। इसलिए 7 तारीख को बड़े आंदोलन का ऐलान किया गया है।
सभी छात्रों से अपील है कि इस वीडियो को अधिक से अधिक शेयर करें और आंदोलन में भागीदारी दें।

आज अधिकारियों से हुई बातचीत का सार यही है कि फिलहाल परीक्षाएं जल्दी नहीं होंगी। अब आगे की रणनीति छात्रों और युवा मंच के निर्णय पर निर्भर करेगी।

आप अपने विचार कमेंट बॉक्स में ज़रूर साझा करें।
पूरा वीडियो देखने और सुनने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।



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